पेश है मुफ्त प्रीमियम ब्लॉग SWT Master टेम्पलेट्स | ultapulta:
'via Blog this'
हिंदी के तकनीकी ब्लॉग्स को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने का एक प्रयास
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Thursday, February 28, 2013
Wednesday, February 27, 2013
Tuesday, February 26, 2013
Balena Blogger template - BTemplates
Balena Blogger template - BTemplates
Instructions: | Template Settings / How to install a Blogger template
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Template author: | NBThemes |
Designer: | Web2Feel |
Description: | Balena is a free blogger template adapted from WordPresswith 2 columns, right sidebar, footer columns, social bookmarking icons, posts thumbnails and vintage style. Excellent layout for blogs about art, education or personal issues. Download Balena for free in BTemplates. |
Rating | |
Compatible with: |
Saturday, February 23, 2013
free download software,DO YOU KNOW: कुछ सॉफ्टवेर जो उपयोगी हैं
DO YOU KNOW: कुछ सॉफ्टवेर जो उपयोगी हैं: इंटरनेट से बड़ी फाइल्स को डाउनलोड करना तब मुश्किल हो जाता है, जब इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड कम हो या वह बार-बार टूटता हो। हम आपको कुछ ऐसे ...
Sunday, February 17, 2013
अपने ब्लॉग पते को किसी अन्य ब्लॉग पते पर रीडायरेक्ट करें | ultapulta
अपने ब्लॉग पते को किसी अन्य ब्लॉग पते पर रीडायरेक्ट करें | ultapulta
म नोज जैसवाल :सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार,पिछले कुछ समय से निजी कारणों से ब्लॉगगिंग से दूर रहा इसके लिए माफ़ी चाहता हूँ.दरअसल मैं एक अजीब तरह की समस्या से गुजर रहा था,मन ब्लॉगगिंग में लग ही नहीं रहा था पिछले एक महीने से पोस्ट लिखने की कोशिश कर रहा था,लेकिन चन्द लाइन भी ठीक से नहीं लिख पा रहा था शायद मन ही इसके लिए तैयार ही नहीं था.अपने लगभग दो साल के ब्लॉगगिंग में एक और सबक यह सीखा अगर आप का मन ब्लॉगगिंग में नहीं लग रहा है तो पोस्ट की बात छोड़िये आप चन्द लाइन भी ठीक से नहीं लिख सकते,मैं अपने तमाम मित्रों का दिल से शुक्रगुज़ार हूँ कि इस कठिन समय में मेरा साथ दिया.और यह हल भी सुझाया कि कुछ समय नेट से दूर रहना मेरी समस्या का हल हो सकता है,मैने भी ठीक यही किया.बहरहाल अब सब टीक है आज एक बार फिर से आप के साथ पोस्ट भी साझा कर रहा हूँ.आज मैं आपको एक ब्लॉग ट्रिक बताता हूँ अपने ब्लॉग पते को किसी अन्य ब्लॉग पते पर रीडायरेक्ट करें,आप ऐसा बेहद आसानी से कर सकते हैं.अक्सर नए ब्लॉगर अपना ब्लॉग बनातें हैं लेकिन अनुभव की कमी की वजह से उसमे कुछ कमी रह जाती है जिसकी वजह से वह दूसरा ब्लॉग बना कर उसे प्रकाशित कर देते हैं.लेकिन पहले ब्लॉग का यूआरएल वह अपनी टिप्पणी या सोशल नेटवर्कों में दे चुके होते हैं अधिकतर पाठक उसी यूआरएल पर क्लिक कर उनके ब्लॉग पर जाते हैं वहां उनको वह ब्लॉग नहीं मिलता है लेकिन इसका भी बेहद सरल हल है.नीचे दिया यह छोटा सा कोड वह अपने पहले ब्लॉग के टेम्पलेट में डाल कर वह पहले ब्लॉग का यूआरएल अपने दुसरे ब्लॉग में रिडायरेक्ट कर सकते हैं,इसकी प्रक्रिया नीचे दे रहा हूँ.
आप ब्लॉगर डेशबोर्ड--> लेआउट-->टेम्पलेट में जाकर यह कोड खोजे.
<head>
अब नीचे दिया कोड इसके टीक नीचे कापी कर पेस्ट कर दें.
<meta content='0; url= http://manojjaiswalpbt.blogspot.com' http-equiv='refresh'/>
अब अपने टेम्पलेट को सेव कर दें अब जब भी आपके पाठक आपके पहले ब्लॉग के यूआरएल पर क्लिक करेंगे तब आपके पहले ब्लॉग का यूआरएल आपके दुसरे ब्लॉग पर ऑटो रिडायरेक्ट हो जाएगा.
नोट -- लाल रंग से दिए मेरे ब्लॉग यूआरएल से अपने दुसरे ब्लॉग का यूआरएल बदलना ना भूलें.
आप ब्लॉगर डेशबोर्ड--> लेआउट-->टेम्पलेट में जाकर यह कोड खोजे.
<head>
अब नीचे दिया कोड इसके टीक नीचे कापी कर पेस्ट कर दें.
<meta content='0; url= http://manojjaiswalpbt.blogspot.com' http-equiv='refresh'/>
अब अपने टेम्पलेट को सेव कर दें अब जब भी आपके पाठक आपके पहले ब्लॉग के यूआरएल पर क्लिक करेंगे तब आपके पहले ब्लॉग का यूआरएल आपके दुसरे ब्लॉग पर ऑटो रिडायरेक्ट हो जाएगा.
नोट -- लाल रंग से दिए मेरे ब्लॉग यूआरएल से अपने दुसरे ब्लॉग का यूआरएल बदलना ना भूलें.
Friday, February 15, 2013
पार्टेबल सोफ्ट्वेयरस का खज़ाना
पार्टेबल सोफ्ट्वेयरस का AAMIR DUBAI
पार्टेबल सोफ्टवेयर उसे कहते हैं जिन्हें इनस्टॉल करने की जरुरत नही होती। इन पार्टेबल सोफ्ट्वेयरस को आप अपने पेन ड्राइव या USB वगैरा में डालकर साथ भी रख सकते हैं। कंप्यूटर के डेक्सटॉप पर जितने कम सोफ्ट्वेयरस वगैरा होंगे कंप्यूटर की स्पीड उतनी ज्यादा रहेगी। कंप्यूटर की स्पीड कम होने की सबसे बड़ी एक वजह ये भी है की कंप्यूटर का C ड्राइव फुल हो जाता है। जिससे उस पर लोड पड़ता है। ऐसे में जितने ज्यादा सोफ्टवेयर इनस्टॉल करने के बजाय आप पार्टेबल यूज करेंगे ,तो ये बेस्ट हैं। पार्टेबल सोफ्ट्वेयरस को एक बार डाऊनलोड करने के बाद आप अपने पास रखें। जब भी इन्हें यूज करना हो तो इस पर डबल क्लिक करके यूज कर सकते हैं। आज इन्ही पार्टेबल सोफ्ट्वेयरस की कुछ ब्लॉगस के लिंक मै आपको दे रहा हूँ ,जहाँ जाकर आप अपनी जरुरत के हर सोफ्टवेयर को पार्टेबल रूप में डाऊनलोड कर सकते हैं।
''आमिर अली दुबई''
Posted in:
Rikka Takanashi Blogger template - BTemplates
Rikka Takanashi Blogger template - BTemplates
Instructions: | Template Settings / How to install a Blogger template |
Template author: | Djogzs |
Description: | Rikka Takanashi is a free blogger template with 3 columns, left and right sidebars, gallery-styled, fresh look, rounded corners, exclusive design for Blogger, footer columns, posts thumbnails, drop down menu, related posts and vectorial elements. Excellent layout for blogs about animals, anime or kids. Download Rikka Takanashi for free in BTemplates. |
Rating | |
Compatible with: |
Thursday, February 14, 2013
Monday, February 11, 2013
वेबसाइट बनवाने जा रहे हैं? रखें इन बातों का ख्याल
मैं एक फ्रीलांस वेब डिजाइनर – डेवेलपर हूं और वेबसाइट के निर्माण के सिलसिले मेरा देश विदेश के बहुत से लोगों से में संपर्क होता रहता है। कई लोग जितना चार्ज करो उससे भी ज्यादा देने को तैयार रहते हैं तो कई भारी मोलभाव भी करते हैं। कई लोग पहली बार वेबसाइट बनवा रहे होते हैं तो कई अपनी पिछली वेबसाइट का पुन:निर्माण करवाने के लिए संपर्क करते हैं। इससे जो मुझे अनुभव हुआ है मैं समझता हूं कि उसे आप सभी से साझा करना चाहिए ताकि आप जब किसी से साइट बनवाने जाएं तो आप बेहतर निर्णय ले सकें।
डोमेन, होस्टिंग और डिजाइनर/डेवेलपर को समझें
डोमेन नेम आपकी साइट का नाम होता है जैसे www.yahoo.com यह डोमेन नेम है। इंटरनेट चौबीसों घंटे- तीन सौ पैंसठ दिन लगातार चलने वाले सर्वरों की बदौलत चलता है। इन्ही सर्वरों में वेबसाइटें रखी जाती हैं। इसके लिए हमें कुछ शुल्क देकर जगह किराए से लेनी होती है। इसे होस्टिंग कहा जाता है। फिर वेबसाइट के जो पेज होते हैं, सामग्री होती है उसे तैयार करने का काम डिजाइनर एवं डेवेलपर करते हैं। जब आप अपनी वेबसाइट बनवाते हैं तो आपको इन तीनों का अलग अलग भुगतान करना होता है। सामान्यत: डोमेन और वेबहोस्टिंग का होस्टिंग सेवाप्रदाता कंपनी को और वेबसाइट निर्माण का भुगतान डिजानर एवं डेवेलपर को करना होता है। कभी कभी वेबडिजाइनर लोग ही डोमेन और होस्टिंग भी साथ ही उपलब्ध करवा देते हैं और उसका शुल्क अपनी फीस में जोड़ लेते हैं।
डिजाइनर अथवा कंपनी के पिछले काम को देखें
यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। हर कंपनी/डिजाइनर के पास हुनर और विशेषज्ञता का अलग अलग स्तर होता है। कई ऐसे मिलेंगे जो आपको एकदम “सरकारी” टाइप साइट बनाकर भी दे सकते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि आप उसका पिछला काम देखें। यदि वह आपको अच्छा लगे तो विचार करें।
सारी शर्तें और आगे की सेवाओं को जान लें
हर कंपनी/डिजाइनर अलग अलग शर्ते रखते हैं। मसलन मुफ्त मदद (फ्री सपोर्ट की अवधि), वार्षिक नवीनीकरण, होस्टिंग संबंधी शर्तें आदि। अत: इन सभी के संबंध में अच्छी तरह से जानकारी ले लें। मेंटिनेंस और बग फिक्स के शुल्क आदि के संबंध में भी पूछ लें। भविष्य में आपको क्या मुफ्त में मिलेगा और किसका किसका और कितना पैसा लगेगा, यह बात एकदम स्पष्ट कर लें।
स्टैटिक बनाम डायनेमिक साइटों में अंतर समझें
मैं यहां आपको एकदम गैर तकनीकी – सरल भाषा में समझाता हूं।
स्टैटिक वेबसाइटों में एक बार सामग्री डल जाने के बाद उसमें कोई भी परिवर्तन करना डिजाइनर के हाथ में होता है। यानि कि यदि आप कोई एक पेज जोड़ना चाहें या फोटो बदलना चाहें तो आपको डिजाइनर से संपर्क करना पड़ेगा। स्टैटिक वेबसाइटों के प्लान अक्सर इस प्रकार बताए जाते हैं: १० पेज, एक कान्टैक्ट अस फार्म, एक फ्लैश इमेज शुल्क ८०००रुपए आदि। या होमपेज का शुल्क ४००० रुपए और फिर ५०० रुपए प्रति पेज। यदि प्लान इस किस्म का है तो समझ जाइए कि यह स्टैटिक वेबसाइट का प्लान है।
वहीं डायनेमिक साइटों के पीछे कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम लगाया जाता है। इसमें आप खुद से पेज जोड़ पाते हैं। फोटो जोड़ पाते हैं। सामग्री में परिवर्तन की कुंजी आपके हाथ में होती है। सामान्यत: ऐसी वेबसाइटें स्टैटिक वेबसाइटों की तुलना में कुछ अधिक महंगी पड़ती हैं। डायनेमिक वेबसाइट आपके एक सामान्य से ब्लाग से लेकर एक फ्री क्लासिफाइड साइट से लेकर एक सर्च इंजन तक कुछ भी हो सकती है। उदाहरण के लिए आप अभी इसे अंतर्जाल डॉट इन पर पढ़ रहे हैं जो कि एक डायनेमिक साइट है। इसके पीछे एक सीएमएस लगा हुआ है जहां से इस लेख को प्रकाशित किया जा रहा है। इसी प्रकार अन्य समाचार पोर्टल जैसे भास्कर डॉट कॉम, टाइम्स ऑफ इंडिया आदि भी डायनेमिक साइटों के उदाहरण हैं। ऐसी साइट के निर्माण के लिए आपको डेवेलपर से मिलकर बात करनी होगी।
इस क्षेत्र में एमआरपी नही होती
हो सकता है कि आप तीन कंपनियों से मिलकर आएं और तीनों को अपनी जरूरत बताएं और तीनों आपको अलग अलग कीमत बता दें वो भी भारी अंतर के साथ जैसे कोई आपको कहे कि आपकी साइट ५००० रुपए में बना देगा तो कोई ७००० में तो कोई १५००० में। ऐसे में असमंजस होना स्वाभाविक है। या आप सबसे सस्ते की ओर चल सकते हैं। लेकिन ठहरिए! सस्ती चीज के अच्छे होने की संभावना कम ही है।
मेरे साथ एक बार ऐसा हुआ कि एक वेबसाइट का शुल्क मैंने १२००० रुपए बताया था, किन्तु उस व्यक्ति नें किसी और से मात्र ३००० रुपए में साइट बनवा ली। जब मुझे पता चला तो मैंने उसकी साइट देखी तो दंग रह गया। साइट एकदम “सरकारी” साइटों की तरह दिख रही थी और तो और एक भी फाइल अपलोड करने भर को कह देने पर उनका डिजाइनर चिड़चिड़ा जाता था। सीधी सी बात है मात्र तीन हजार रुपए में वो ज्यादा कुछ नही दे सकता। इसलिए मेरी सलाह होगी कि पैसे के साथ साथ ऊपर बताए गए सभी बिंदु यानि कि डिजाइनर के पिछले काम और आगे की सारी सेवाओं की जानकारी ले लें। फिर निर्णय करें।
कई बार इस क्षेत्र में नए नए आए हुए डिजाइनर भी अपना शुल्क काफी कम रखते हैं क्योंकि वो चाहते हैं कि उनको अधिक से अधिक काम मिले। ऐसे में न तो उनको औरों से कम आंकें और ना ही अधिक आंके। क्योंकि हो सकता है कि वो शायद आपका काम काम किसी कंपनी की तुलना में अच्छे से कर दें या फिर उन्हे अच्छा काम ही न आता हो और आपके पैसे बर्बाद हो जाएं। इसलिए उनका हाल का काम देखें। यदि वह आपको जंचे तो उन्हे काम दिया जा सकता है। यदि आपका काम जटिल और जोखिम भरा नही है और आपकी अधिक खर्च वहन नही कर सकते तो “फ्रेशर” को मौका देने में हर्ज नही।
किन्तु यदि आप सब कुछ अच्छी गुणवत्ता का चाहते हैं तो फिर अनुभवी और विश्वसनीय डिजाइनर/कंपनी से सेवाएं लें। जरूरत से ज्यादा मोलभाव करने वालों को मेरी सलाह है कि “महंगा रोए एक बार, सस्ता रोए बार बार”। (मैं इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि ऐसे लोगों से भी मेरा पाला पड़ चुका है)
वेबसाइटों के निर्माण का काम कई लोग अपने घर से ही अकेले या दो चार दोस्त मिलकर करते हैं। तो हो सकता है कि आपको वहां कोई चमचमाता ऑफिस ना दिखे। अक्सर हम चमक दमक से आकर्षित हो जाते हैं। ऐसे में उन्हे कम न आंके क्योंकि जो चमचमाता हुआ ऑफिस रखेगा वो आपसे उसके पैसे भी वसूल करेगा। और काम की गुणवत्ता ऑफिस के रंग रूप से तय नही होती।
और अंत में एक बात और
मुझे कुछ लोग ऐसे मिले जिन्होने पहले किसी से साइट बनवा रखी थी फिर किसी कारणवश नव निर्माण हेतु उन्होने मुझसे संपर्क किया। मैंने कहा कि साइट बन जाएगी। आपके पास डोमेन नेम के कंट्रोल पैनल का आईडी पासवर्ड है ना? उन्हे डोमेन नेम ही नही मालूम था। कुछ कंपनियां जब आपको वेबसाइट बनाकर देती हैं तो साथ में वेब होस्टिंग और डोमेन नेम भी देती हैं। किन्तु उसका आईडी पासवर्ड अपने पास रखती हैं। ताकि ग्राहक बंधा रहे। तो मेरी सलाह होगी कि आप कम से कम डोमेन नेम का आईडी पासवर्ड अवश्य अपने पास रखें। ताकि यदि वेब-डिजाइनर बदलना भी पड़े तो आपकी वेबसाइट का “नाम” आपके साथ ही रहे। बेहतर होगा कि होस्टिंग और डोमेन नेम अलग से खुद ही खरीद लें या फिर यदि वेब डिजाइनर ही आपको वो दे रहा हो तो उससे उसका आईडी पासवर्ड अवश्य मांग लें।
मैंने अपने अनुभवों के आधार पर यह लेख लिखा है। आशा है कि यह लेख आप सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। और आप अपनी वेबसाइट हेतु अच्छा चुनाव कर पाएंगे।
लेखक स्वतंत्र वेब डिजाइनर एवं डेवेलपर हैं।
पीएचपी-माईएसक्यूएल, Yii-Framework, वर्डप्रेस एवं जेक्वेरी पर काम करते हैं।
वेबसाइट: www.abhinavsoftware.com
पीएचपी-माईएसक्यूएल, Yii-Framework, वर्डप्रेस एवं जेक्वेरी पर काम करते हैं।
वेबसाइट: www.abhinavsoftware.com
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Sunday, February 10, 2013
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